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Sunday, October 5, 2014

ख़ुशी के साथ...A Never ending Expression...7-12

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Updated as of 27-Sep-14,

7.
आज है खुशी,
नसीब है आज अच्छा तेरा, जो तू हँसती-खेलती फिर मिलने आई है,
बहुत आरजू है ज़माने की भी, की फिर बचपन से उनकी मुलाकात हो,
की यही नशे-बयान, अक्सर लोग मैख़ानो में किया करते है.

8.
समझ ले ख़ुशी,
अश्को की मेरी यारी से तू क्यों इतना खलती है,
सोच के बता, की इसके बिना तेरे वज़ूद में क्या कम है,
की कुछ इसकी बूंदो की स्याही से,
तेरे-मेरे कुछ किस्से और लिख दुगा.

9.
जवाब तेरा ख़ुशी,
लम्बी जुदाई की तेरी शिकायत तो वाजिब है,
पर फ़र्ज़ ने निसार किया था तेरी चाहत को,
की मेरे इन मासूम फूलों की मुस्काने भी तो जरूरी थी.

10.
फिर आजा ख़ुशी,
ऐबो की रंगीनियों की चमक ही तेरी कातिल थी,
दुनिया के फरेबों में, मैं भी कब तक ये देख न पाता,
चल अब निकल कब्र से और मिल जा, की तेरी आशिक़ी फिर आज जिन्दा हुई है.

11.
दूर क्यों खुशी,
कल रात चाँद ने पुछा, की दिन से फ़ासले क्यों हैं उसके,
मैं बोला की, याराना तुम्हारा है तो मैं क्या जवाब दू,
की मुस्कानों से रूबरू, हम भी मुश्किलो से हुआ करते है.


12.
मनचला था ख़ुशी,
तेरे मोहल्ले में मेरी आवारगी के किस्से बड़े मशहूर थे,
दिले-नादान तेरी चाहत में घायल क्या हुआ,
की अब रात की तन्हाइयों में भी, तेरी मुस्कानों से दिल भर जाता है.

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