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Sunday, October 5, 2014

ख़ुशी के साथ...A Never ending Expression...1-6

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Updated as of 25-Sep-14

1.
क्यों री ख़ुशी,
रस्ता भूली तू या आई करने वफ़ा को जाहिर,
कमी नहीं खलती मुझे अब तेरी,
की मै भी हो गया हु तेरी बिन जीने में माहिर.

2.
देख री ख़ुशी,
तुझसे इश्क़ मेरा तो जग जाहिर है,
दुनिया के कायदे भी तू देख,
की किस्से तेरी-मेरी जुदाई के ज्यादा मशहूर
है.

3.
झोल तेरा ख़ुशी,
खरीदू तुझे पर मोल न है अब मुझे मालूम,
कहते थे सब लोग की तू दौलत के साथ मुफ्त है आती,
की ये सौदा जिंदगी देकर कर लिया पर अब भी तू नज़र नहीं आती.

4.
आजा तू ख़ुशी,
शामियाने लग गए है कबके मेरी जान,
अब अरसा बीत गया पर तू कब आएगी,
की झलक दे अपनी फिर ये महफ़िल भी बैठ जायेगी.

5.
कहाँ गई ख़ुशी,
दिल किया की बस इक मुलाकात तुझसे और हो जाए,
प्याले भी हो गए खाली पर अब वो सरूर किधर है,
की रुस्वा हुई तू जबसे, अब कोई दोस्त किधर है.

6.
सोने दे ख़ुशी,
तेरे अफसानों की कमी नहीं मेरे सपनो की गलियो में,
क्यों फिर तेरी यादों में तू मेरी नींद ले जाती है,
की इश्क-ए-जुर्म को तो अब ज़माना बीत गया.

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