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Wednesday, September 17, 2014

लहरें बनने में अलग ही मज़ा है....

किसका निभाना है तुम्हे कायदा...?
अलग होके देखो इस दुनिया से
की इसमें न कोई सजा है,
सागर अच्छे है पर
लहरें बनने में अलग मज़ा है. 

चट्टानों को अंदर क्यों छुपा
लेते हो तुम सागर मेरे,
मे तो रेत के ढेर दे देता हु
दुनिया को प्यारे मेरे.

किसका निभाना है तुम्हे वायदा...?
इन पहाड़ो को तुम कब तक
अपने में समाओगे,
कुछ देदो औरो को भी की तभी 
तुम्ही किसी को याद आओगे.

क्या है तुम्हे इसका फायदा...?
युही ठहरी हुई चट्टानों को रख के
तुम क्या पाओगे,
कुछ कणो से इनके किसी इंसान
का घर बन जाएगा. 

क्या सोच रहे हो अब तुम...?
ठहरे ही रहोगे कब तक मेरे प्यारे,
चलो अब मुझे किनारे भी जाना है 

सागर अच्छे है पर
लहरें बनने में ही अलग मज़ा है. 

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