बात बीती तो हमे कुछ ख़्याल आया,
क्यों घबराते हम और करते है
ज़िन्दगी के हसीन पलों को जाया,
ग़मों को क्या कहते हम फिर
वोह तो है खुशी का साया.
होनी तो इशारा है की
जीने का फिर तुम्हारे पास इक मौक़ा है,
क्या पकड़ोगे तुम फिर यह एहसासों को
जो बस हवा का झोंका है.
सुख-दुःख के मौसमों के बिना
ज़िन्दगी जीनी है अधूरी,
करलो फिर तुम इन्हीं लम्हों मे
दिल की कुछ ख्वाइशों को पुरी.
सत्य ही कहा है किसी ने की
कलकी आस तो बस इक दोेखा है,
नहीं सुना किसी का नाम
जिसने अंत को रोका है.
कल फिर हम करेंगे
कुछ अपनी कलम से बयान,
शौक से लिखतै रहेंगे
जब तक है जान.
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