क्यों तोलते हो तुम अपने ही तराजु में हम सबको,
हमे तो बस प्यारा लगता है
खुशी का आलम तुम देते हो जगको.
सोचा फिर हम भी रखे अपने विचारो को तुम्हारी कचहरी में,
बयान करे कुछ अपना मानना तुम्हारे बनाए फैसले की घडी में.
दिल तो हम बिना डर के सबसे ही लगाते है,
इसी बहाने हम बिना दिमाग के लोगो की सीरत जान जाते है.
खुश किस्मत है हम की भर के गम जो मिला,
फिर भी न करते हम किसी से हेरा फेरी,
और न रखते इस दिल में भी किसी से गिला,
खुश रहते है की हमे फिर कुछ ज़िन्दगी का सबक मिला.
धर्म है दोस्ती का रिश्ता हमारे लिए,
दिल क्या चीज़ है फिर ये तो जगा देता है,
इस मतलबी मन में भी इन्सानियत के दीये.
आसान सा हमारी सीरत का तकाज़ा है,
इस दोस्ती के रिश्ते में मतलब की कोई चीज़ नहीं,
बस आनंद भर देता है जब तक मेरी ये छोटी सी ज़िन्दगी रही.
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