कभी तनहा न हुए तेरी हसीन यादों
के सहारे जीते जीते,
खुदा के प्यार में क्या देखा तूने,
कुछ तू भी देख लेती तेरे इन सितारों
का चमकना,
कुछ लम्हे और जी लेती इन सितारों
के आसमां सीते सीते.
कुछ फिर ये मजबूर दिल खुदा से हिमाकत करता है,
तेरी मर्ज़ी पे किसका जोर है मालिक,
बस कुछ शब्दों में लिख के हाले दिल फिर बया करता है.
वज़ह न मिली हमे कातिल,
इस ज़माने में जीने की.
मौत भी हुई जब रुस्वा हमसे,
जिगर से आवाज़ आई पीने की,
कमबख्त कुछ प्याले गुजर जाने दो,
हम इस खुदा से ज़न्नत को चुरा के
ज़मीन पर ले आयेगे,
फिर पूछेंगे उससे की
वो उसे प्यारे किधर लजायेंगे....
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